गुजराती दलित साहित्य हिन्दी अनुवादमें
Wednesday, August 24, 2011
दान वाघेलाकी कविता
आस पुरानी
आस पुरानी,
प्यास पुरानी;
कौन ढोएगा
लाश पुरानी?
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