Monday, August 22, 2011

श्याम साधूकी कविता
















अंतिम खड़ा है जो
अंतिम खड़ा है जो उस इन्सानकी
छठी इन्द्रिय जाग्रत होगी तब
यक्ष सम्मुख बैठे व्यक्तिके
मूलाधार चक्रसे एक प्रकाशपुंज प्रकट होगा.

अंतिम खडा है जो
उस इन्सानकी
छठी इन्द्रिय जाग्रत होगी तब
वहाँ मणीकर्णिका घाट पर होगा
जयघोष ओम् ह्रीं ह्रीं का .

अंतिम खडा है जो
उस इन्सानकी
छठी इन्द्रिय जाग्रत होगी तब
बहुत बोलनेवाले
जातिवादी लोग, जो आगे खड़े हैं
चले जाएँगे सबसे पीछे और
खड़े रह जायेंगे
खामोश.

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